परिचय
गणित और कंप्यूटर विज्ञान की दुनिया में कई प्रकार की संख्या पद्धतियाँ (Number Systems) उपयोग में लाई जाती हैं। इन्हीं में से एक है ऑक्टल संख्या पद्धति। यह संख्या पद्धति डिजिटल और कंप्यूटर सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि ऑक्टल संख्या पद्धति क्या है, इसका उपयोग कहां होता है, इसे कैसे बाइनरी या डेसिमल में बदला जाता है और इसके लाभ क्या हैं।
ऑक्टल संख्या पद्धति क्या है?
ऑक्टल संख्या पद्धति में कुल 8 अंक (0 से 7) होते हैं। इसे आधार 8 (Base 8) की संख्या प्रणाली कहा जाता है।
इसमें हर अंक का मान 8 की घात पर आधारित होता है।
उदाहरण:
संख्या 157₈ का मतलब होता है:
= 1×8² + 5×8¹ + 7×8⁰
= 64 + 40 + 7
= 111₁₀ (डेसिमल में)
ऑक्टल को डेसिमल में कैसे बदलें?
ऑक्टल संख्या को डेसिमल में बदलने के लिए हर अंक को 8 की घात से गुणा किया जाता है।
उदाहरण:345₈
= 3×8² + 4×8¹ + 5×8⁰
= 192 + 32 + 5
= 229₁₀
डेसिमल को ऑक्टल में कैसे बदलें?
डेसिमल संख्या को ऑक्टल में बदलने के लिए 8 से भाग (Division Method) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण:
डेसिमल संख्या: 98
➤ 98 ÷ 8 = 12, शेष = 2
➤ 12 ÷ 8 = 1, शेष = 4
➤ 1 ÷ 8 = 0, शेष = 1
ऑक्टल रूप: 142₈
ऑक्टल और बाइनरी के बीच रूपांतरण
ऑक्टल से बाइनरी में बदलने के लिए, हर ऑक्टल अंक को 3-बिट बाइनरी में बदला जाता है।
उदाहरण:
ऑक्टल: 27₈
➤ 2 = 010, 7 = 111
बाइनरी: 010111₂
ऑक्टल का उपयोग कहाँ होता है?
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में: पुरानी मशीन लैंग्वेज और असेंबली लैंग्वेज में।
फाइल परमिशन (Linux/Unix): फाइल एक्सेस कंट्रोल के लिए।
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स: सर्किट डिजाइन और शॉर्ट नोटेशन के लिए।
ऑक्टल संख्या पद्धति के लाभ
सिंपल नोटेशन: बाइनरी की तुलना में पढ़ना और समझना आसान।
स्पेस की बचत: लंबी बाइनरी स्ट्रिंग्स की जगह छोटा रूप।
सिस्टम डिजाइन में सहायक: डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए उपयुक्त।
सीमाएं (Limitations)
प्रचलन में कमी: आजकल हेक्साडेसीमल ज्यादा उपयोग में है।
आधुनिक सिस्टम सपोर्ट कम: नई भाषाओं और टेक्नोलॉजीज़ में सीमित सपोर्ट।
Types of Octal Number System

ऑक्टल संख्या पद्धति के प्रकार
वैसे तो ऑक्टल संख्या पद्धति एक ही प्रकार की होती है — Base-8 प्रणाली, लेकिन उपयोग और प्रस्तुति के आधार पर इसे विभिन्न प्रकारों में समझा जा सकता है:
पूर्णांक ऑक्टल संख्याएँ (Integer Octal Numbers)
इस प्रकार की संख्याएँ दशमलव के बाद कोई भाग नहीं रखतीं।
उदाहरण:25₈, 374₈, 7₈
दशमलव (फ्रैक्शनल) ऑक्टल संख्याएँ (Fractional Octal Numbers)
इसमें दशमलव (.) के बाद भी ऑक्टल अंक होते हैं।
उदाहरण:23.4₈, 145.75₈
बदलाव का तरीका:
दशमलव के बाद के अंश को 8⁻¹, 8⁻², … से गुणा कर के डेसिमल में बदला जाता है।
Signed Octal Numbers (चिह्नित ऑक्टल संख्याएँ)
इनमें + या − संकेत होता है, जो संख्या के सकारात्मक या नकारात्मक होने को दर्शाता है।
उदाहरण:+45₈, -127₈
Unsigned Octal Numbers (अचिह्नित ऑक्टल संख्याएँ)
इनमें कोई संकेत नहीं होता। सभी संख्याएँ स्वाभाविक रूप से सकारात्मक (positive) मानी जाती हैं।
उदाहरण:77₈, 126₈
Octal Representations in Programming (प्रोग्रामिंग में ऑक्टल का प्रयोग)
कई प्रोग्रामिंग भाषाओं में ऑक्टल संख्याओं को दर्शाने के लिए अलग तरीका होता है, जैसे:
C/C++/JavaScript में:
012→ यह डेसिमल में 10 होता है (क्योंकि0से शुरू है, तो इसे ऑक्टल माना जाएगा)Python में:
0o12→ डेसिमल में 10
निष्कर्ष
ऑक्टल संख्या पद्धति एक सरल, लेकिन तकनीकी दृष्टिकोण से उपयोगी प्रणाली है जो कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स में विशेष रूप से इस्तेमाल होती थी। यदि आप कंप्यूटर साइंस या डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में हैं, तो इसका ज्ञान आपके लिए बहुत आवश्यक है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs in Hindi)
प्रश्न 1: ऑक्टल संख्या पद्धति क्या है?
उत्तर:
ऑक्टल संख्या पद्धति एक संख्या प्रणाली है जिसका आधार 8 होता है और इसमें केवल 8 अंक (0 से 7) होते हैं।
प्रश्न 2: ऑक्टल संख्या को डेसिमल में कैसे बदलते हैं?
उत्तर:
हर ऑक्टल अंक को उसके स्थान के अनुसार 8 की घात से गुणा कर के सभी मानों को जोड़ते हैं।
प्रश्न 3: डेसिमल को ऑक्टल में कैसे बदलें?
उत्तर:
डेसिमल संख्या को 8 से भाग देकर शेषफल को नीचे से ऊपर की ओर क्रम में लिखने से ऑक्टल संख्या बनती है।
प्रश्न 4: ऑक्टल का कंप्यूटर में क्या उपयोग है?
उत्तर:
ऑक्टल का उपयोग फाइल परमिशन (Linux/Unix) सेट करने, असेंबली लैंग्वेज, तथा मशीन लैंग्वेज में किया जाता है।
प्रश्न 5: बाइनरी को ऑक्टल में कैसे बदला जाता है?
उत्तर:
बाइनरी संख्या को 3-3 बिट के समूहों में बाँटकर प्रत्येक समूह को एक ऑक्टल अंक में बदला जाता है।


