
ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल (Kernel) क्या है?
आज के डिजिटल युग में हम सभी कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य स्मार्ट डिवाइसेज़ का इस्तेमाल करते हैं। इन सभी डिवाइसेज़ को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक चीज़ बेहद महत्वपूर्ण होती है — ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कौन सा होता है? उसका नाम है — कर्नेल (Kernel)।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि कर्नेल क्या होता है, यह कैसे काम करता है और इसके प्रकार क्या हैं।
Karnel क्या है?
Kernel एक प्रोग्राम है जो ऑपरेटिंग सिस्टम का कोर (core) होता है। यह यूज़र और हार्डवेयर के बीच की कड़ी (bridge) का काम करता है। जब भी कोई यूज़र या सॉफ्टवेयर कोई कमांड देता है, कर्नेल उसे प्रोसेस करके हार्डवेयर तक पहुंचाता है।

सरल शब्दों में:
कर्नेल वह “दिमाग” है जो यह तय करता है कि कौन सा प्रोग्राम CPU का इस्तेमाल करेगा, मेमोरी कहाँ अलॉट होगी, और इनपुट/आउटपुट कैसे होंगे।
कर्नेल के मुख्य कार्य
प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management)
कौन सा प्रोग्राम कब और कितना CPU इस्तेमाल करेगा — यह तय करना।मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management)
RAM को सही से मैनेज करना ताकि हर प्रोग्राम को उसकी जरूरत की मेमोरी मिले।डिवाइस मैनेजमेंट (Device Management)
हार्ड डिस्क, कीबोर्ड, माउस आदि डिवाइसेज़ को कंट्रोल करना।फाइल सिस्टम मैनेजमेंट (File System Management)
डाटा को स्टोर और एक्सेस करने के तरीके को मैनेज करना।सिक्योरिटी और एक्सेस कंट्रोल
यह तय करना कि कौन से यूज़र को कौन सी फाइल या डिवाइस एक्सेस करने की अनुमति है।
Karnel के प्रकार
Monolithic Kernel
यह एक बड़ा सिंगल कोड बेस होता है जिसमें सभी कार्य शामिल होते हैं।
उदाहरण: LinuxMicrokernel
केवल बेसिक फंक्शन (जैसे मेमोरी और प्रोसेस मैनेजमेंट) को ही संभालता है, बाकी चीजें अलग मॉड्यूल्स में होती हैं।
उदाहरण: MINIXHybrid Kernel
Monolithic और Microkernel का मिश्रण।
उदाहरण: Windows NTNano Kernel
बहुत ही छोटा कर्नेल जो केवल हार्डवेयर इंटरप्ट को संभालता है।Exo Kernel
यह हार्डवेयर रिसोर्सेज को सीधे यूज़र प्रोग्राम्स को देने की अनुमति देता है।
Karnel कैसे काम करता है? (How Kernel Works?)
मान लीजिए आपने कंप्यूटर पर एक फाइल खोलने के लिए क्लिक किया। उस क्लिक की जानकारी सबसे पहले कर्नेल तक जाती है। फिर:
कर्नेल हार्ड डिस्क को कमांड देता है कि उस फाइल को ढूंढो।
वह फाइल मेमोरी (RAM) में लोड होती है।
कर्नेल प्रोसेसर को निर्देश देता है कि उस फाइल को डिस्प्ले करो।
यह सब कुछ माइक्रोसेकंड्स में होता है, और आपको यह प्रक्रिया बिल्कुल भी दिखाई नहीं देती।
क्यों ज़रूरी है कर्नेल?
बिना कर्नेल के ऑपरेटिंग सिस्टम काम नहीं कर सकता।
यह सभी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच संपर्क बनाए रखता है।
सिस्टम की सिक्योरिटी और स्टेबिलिटी सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष
कर्नेल एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो हमारे कंप्यूटर और मोबाइल जैसे डिवाइसेज़ को सुचारू रूप से चलाने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच पुल की तरह काम करता है और सभी प्रमुख सिस्टम रिसोर्सेज को नियंत्रित करता है।
अगर आप स्टूडेंट हैं…
तो “कर्नेल” को अच्छी तरह से समझना आपके ऑपरेटिंग सिस्टम विषय की नींव को मजबूत करेगा, चाहे आप BCA, B.Tech, या कोई भी कंप्यूटर से संबंधित कोर्स कर रहे हों।

